اللہ تعالیٰ کے بارے میں کیسا عقیدہ رکھنا چاہیے؟
शमशेर ख़ान साहब की नरम दावत और दिल को छू लेने वाले अंदाज़ में लिखा गया यह लेख बताता है कि अल्लाह तआला के बारे में सही अकीदा कैसे रखा जाए।
🌙✨ السلامُ علیکم ورحمۃ اللہ وبرکاتہ — मेरे प्यारे बेटों, बेटियों और भाइयों–बहनों…
मैं हूँ आपका ख़िदमतगुज़ार, शमशेर ख़ान भिलाई से। उम्र ने बहुत कुछ दिखाया है, दिल ने बहुत कुछ सहा है… और आज दिल चाहता है कि आपसे वह नरम और सच्ची बात साझा करूँ जो इंसान के दिल को सीधा सुकून देती है — यानी अल्लाह तआला के बारे में सही अकीदा।
बेटा… जब जिंदगी उलझती है, दिमाग़ थक जाता है और दिल फिसलने लगता है—तो इंसान को एक ही चीज़ संभालती है: 👉 अल्लाह की सही पहचान।
🕋 1. अल्लाह तआला एक हैं — बे-मिसाल, बे-शریک، बे-नज़ीर
क़ुरआन कहता है:
“لَيْسَ كَمِثْلِهِ شَيْءٌ” — “अल्लाह जैसा कोई नहीं।”
इसका मतलब यह है कि:
-
अल्लाह किसी के मुहताज नहीं 🤲
-
उन्हें किसी ने पैदा नहीं किया
-
उनकी शान की कोई हद नहीं
जिस दिल में यह यक़ीन जम जाए—वह दिल तूफ़ानों में भी नहीं हिलता।
🌟 2. अल्लाह हमारी सोच से ऊपर… लेकिन हमसे बहुत क़रीब
कई बच्चे पूछते हैं: “हम अल्लाह को क्यों नहीं देख पाते?”
बेटा… हमारी नज़र कमज़ोर है, मगर अल्लाह की रहमत बहुत तेज़।
क़ुरआन:
“हम इंसान की शिरा से भी ज़्यादा क़रीब हैं।”
यानी:
-
आपकी आह सुनी जाती है
-
आपकी तन्हाई महसूस की जाती है
-
आपकी दुआ बेआवाज़ भी पहुँचती है
💎 3. अल्लाह को उनके खूबसूरत नामों से पहचानो — अस्मा-ए-हुस्ना
| 🌸 नाम | ❤️ मतलब | ✨ दिल पर असर |
|---|---|---|
| الرحمٰن | सबसे बड़ा रहम करने वाला | हर गलती को ढकने वाली रहमत |
| الرحیم | बेहद नर्मी वाला | दिल को पिघला देने वाली मोहब्बत |
| العلیم | सब जानने वाला | आपकी दुआ, दर्द और कोशिश सब मालूम |
| الحکیم | हिकमत वाला | हर फैसला सही समय पर |
| القدیر | हर चीज़ पर क़ादिर | बंद राहें भी खोल देता है |
जो इंसान अल्लाह के नाम सीख ले—उसका दिल नूर से भर जाता है।
🌤 4. अल्लाह का हर काम हिकमत से भरा है — कुछ भी बे-वजह नहीं
मुसीबत आए तो इंसान कहता है: **“मेरे साथ ही क्यों?”
बेटा… अल्लाह कभी बे-वजह नहीं देते।
-
दुआ देर से मिले = बेहतर चीज़ आ रही है
-
मुसीबत आए = दर्ज़े बढ़ रहे हैं
-
रास्ता बंद हो = बेहतर रास्ता खुलने वाला है
क़ुरआन:
“अल्लाह किसी जान पर उसकी ताक़त से ज़्यादा बोझ नहीं डालते।”
🕌 5. “अल्लाह कहाँ हैं?” — बच्चों जैसा सवाल, बड़ों जैसा जवाब
अहले-सुन्नत का साफ़ अकीदा: अल्लाह अपनी ज़ात के साथ अर्श पर हैं, लेकिन उनकी रहमत, इल्म और कुदरत हर जगह है।
🌙 6. अल्लाह को समझा जा सकता है… मगर पूरी तरह घेरा नहीं जा सकता
दिमाग़ की हद छोटी है, अल्लाह का नूर बड़ा।
क़ुरआन + नबी ﷺ की हिदायत + दुनिया की निशानियाँ = दिल में अल्लाह की पहचान।
❤️ 7. अल्लाह से मोहब्बत — अकीदे की असली जान
अकीदा किताब का चैप्टर नहीं… अकीदा = अल्लाह से रिश्ता।
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भरोसा
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उम्मीद
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रज़ामंदी
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सब्र
जिस दिल में अल्लाह की मोहब्बत बस जाए— उसे कोई तूफ़ान नहीं तोड़ सकता।
💭✨ शक–ओ–सवाल और उनके सुकून देने वाले जवाब
❓ “अल्लाह मुझे क्यों आज़माते हैं?”
क्योंकि वह आपको मज़बूत बनाना चाहते हैं।
❓ “दुआ देर से क्यों सुनते हैं?”
-
बेहतर वक़्त
-
बेहतर चीज़
-
बेहतर मक़ाम
❓ “क्या अल्लाह मेरी पुकार सुनते हैं?”
हाँ बेटा… दिल की खामोशी भी सुनी जाती है।
🌸 कहानी — आयेशा (मुंबई)
आयेशा रोकर दुआ करती थी। मैंने उससे कहा:
“बेटी… अल्लाह ने सुन लिया है। सही वक़्त आने दो।”
कुछ दिनों में रास्ता खुल गया — और उसका दिल चमक उठा।
📿 रोज़ाना का 5-कदम ईमान मज़बूत करने का नुस्ख़ा
✨ 1. पाँच मिनट क़ुरआन (मतलब के साथ) ✨ 2. अल्लाह का एक नाम याद ✨ 3. छोटी दुआ ✨ 4. थोड़ा सा शुक्र ✨ 5. थोड़ी इस्तिग़फ़ार
30 दिन में दिल हल्का, रोशन और मज़बूत।
🌙💎 नतीजा
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अल्लाह एक हैं
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बे-मिसाल हैं
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हर लम्हा करीब हैं
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दुआ सुनते हैं
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ग़म जानते हैं
जो अल्लाह को पहचान ले — उसकी ज़िंदगी नूर, बरकत और सुकून से भर जाती है।
❓ FAQ — अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
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क्या अल्लाह हर दुआ सुनते हैं?** हाँ बेटा, ख़ामोश आँसू भी।
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क्या अल्लाह नाराज़ हो जाते हैं? गुनाह से होते हैं, बंदे से नहीं — तौबा सब मिटा देती है।
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क्या अल्लाह से दोस्ती हो सकती है? हाँ — दिल की सच्चाई सीधे पहुँची है।
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‘क्यों’ पूछना जायज़ है? समझने के लिए हो — हाँ।
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ईमान कैसे मजबूत होता है? क़ुरआन, दुआ, सब्र, शुक्र और अच्छी सोहबत से।
About the Author
Shamsher Khan
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